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महाशिवरात्रि पर्व को लेकर आम जनमानस में खासा ही उत्साह देखने को मिल रहा है। साथ ही भगवान भोलेनाथ की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शिव भक्त अपने अपने तरीके से तैयारियों में भी जुटे हुए हैं। वहीं नगर के ज्योतिषाचार्यों ने भी इस वर्ष के महाशिवरात्रि पर्व को कल्याणकारी बताते हुए विधि विधान से पूजन अर्चन किए जाने का आह्वान किया है।
ज्योतिषाचार्य बनवारी लाल गौड़ का कहना है कि शिवरात्रि हिन्दू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। इसे फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन शिवजी का प्राकट्य हुआ था. इसके अलावा शिवजी का विवाह भी इस दिन माना जाता है। इस दिन सूर्य को अर्घ्य दें और शिवजी को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार पूजन करके शिवजी के मंत्रों का जाप करें। रात्रि में शिव मंत्रों के अलावा रुद्राष्टक या शिव स्तुति का पाठ भी कर सकते हैं। शिवरात्रि पर मध्य रात्रि की पूजा विशेष फलदायी होती है। इसके लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। उनके समक्ष घी का एक दीपक जलाएं। इसके बाद उन्हें पुष्प अर्पित करें, भोग लगाएं। तत्पश्चात उनके मंत्रों का जप करें। मंत्र जप के बाद अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।
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अश्विनी मिश्र ने बताते हुए कहा कि महाशिवरात्रि पर व्रत और चार पहर की पूजा का भी बड़ा महत्व है। इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार मंगलवार 1 मार्च को है और इस दिन चार पहर की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन शिवजी को चारों पहर पूजने से मन की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। महाशिवरात्रि पर पहले पहर की पूजा मंगलवार को शाम 6.21 से 9.27 तक होगी। फिर रात को 9.27 से 12.33 तक दूसरे पहर की पूजा होगी। इसके बाद बुधवार को रात 12.33 से 3.39 तक तीसरे पहर की पूजा होगा।
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अंत में रात 3.39 से सुबह 6.45 तक चौथे पहर का पूजन होगा। महाशिवरात्रि पर अगर चार पहर पूजन करते हैं तो पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से पूजन करें। हर पहर में जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए।
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