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मकर संक्रांति का पर्व उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे तो यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है, लेकिन ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार 15 जनवरी को मनाने की बात कही गई है। इस दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ गया है।
आचार्य भृगुनंदन शुक्ल ने बताया मकर संक्रांति का पर्व सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। वैसे तो सूर्य 14 जनवरी को राशि बदलता है, लेकिन इस बार सूर्य 14 जनवरी शनिवार की रात को मकर राशि में प्रवेश करेगा, इसलिए अगले दिन यानी 15 जनवरी को मकर संक्राति का पुण्य काल माना जाएगा। इसी दिन स्नान, दान, जप, पूजा आदि करना शुभ रहेगा। उन्होंने बताया कि पंचांग के अनुसार, 15 जनवरी को चित्रा नक्षत्र दिन भर रहेगा। रविवार को चित्रा नक्षत्र का संयोग होने से पद्म नाम का शुभ योग इस दिन बनेगा, साथ ही सुकर्मा और धृति नाम के दो अन्य योग भी इस दिन बन रहे हैं। इस दिन शनि स्वयं की राशि यानी मकर में रहकर मालव्य योग का निर्माण कर रहे हैं। सालों में एक बार ऐसा शुभ संयोग बनता है।
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5 घंटा 32 मिनट का रहेगा पुण्यकाल
उन्होंने बताया कि मकर संक्रांति पर पूरे दिन ही स्नान-दान किया जा सकता है। लेकिन सुबह के समय पुण्यकाल में ये काम करना अति शुभ माना गया है। पुण्य काल 15 जनवरी रविवार की सुबह 07.14 से दोपहर 12.36 यानी 5 घंटा 32 मिनट तक रहेगा। यानी इस समय किए गए स्नान-दान, तप आदि का महत्व बहुत अधिक रहेगा।
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