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इस बार शारदीय नवरात्र 26 सितंबर को प्रारंभ और चार अक्तूबर को नवमी तक रहेंगे। पांच अक्तूबर को विजय दशमी का पर्व मनेगा। हर दिन माता के अलग-अलग दिव्य स्वरूप की आराधना होगी। शारदीय नवरात्र में घर-घर कलश स्थापना कर आदि शक्ति माता भवानी की आराधना होगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने से पहले देवी शक्ति की अराधना की थी।

ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसुत कहते हैं कि इस बार नवरात्र में नवरात्रि की तिथियों को लेकर को घटत बढ़त नहीं हो रही है। नवरात्रि की सभी तिथियां 26 सितंबर से 4 अक्टूबर तक एक सीधे क्रम में रहेंगी। 26 को प्रतिपदा प्रथम नवरात्र होगा। 27 को द्वितीय और इसी क्रम में तीन अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी और चार अक्टूबर को महानवमी होगी। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन ज्योतिषाचार्य आचार्य मनीष स्वामी ने बताया कि इस साल मां दुर्गा हाथी की सवारी पर पृथ्वी लोक आएंगी। जिस दिन से नवरात्रि का प्रारंभ होता है उसी दिन के अनुसार माता अपने वाहन पर सवार होकर आती हैं। विजयदशमी को बुधवार के दिन नौका की सवारी से मां वापस जाएंगी। माता की नौका की सवारी को बहुत शुभ माना गया है। ऐसे में इस बार शारदीय नवरात्र आते हुए भी और जाते हुए भी बहुत शुभ फलों की वृद्धि करने वाले रहेंगे।

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घटस्थापना या कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

  • प्रतिपदा तिथि आरंभ – 26 सितंबर सुबह 3 बजकर 23 मिनट
  • प्रतिपदा तिथि का समापन – 27 सितम्बर सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर
  • घटस्थापना या कलश स्थापना शुभ मुहूर्त – अभिजीत मुहूर्त में 11 बजकर 48 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट के बीच करना उत्तम होगा।

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