[ad_1]
आमलकी या रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आती है। आंवले के वृक्ष में भगवान श्री हरि का निवास होता है। इसलिए इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान श्रीहरि का पूजन किया जाता है। इसे आमला एकादशी या आंवला एकादशी भी कहते हैं। एकादशी तिथि के दिन किसी को भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
आमलकी या रंगभरी एकादशी 2022-
13 मार्च 2022 दिन, रविवार को सुबह 08 बजकर 40 मिनट पर एकादशी तिथि प्रारंभ होगी, 14 मार्च 2022 दिन सोमवार को सुबह 10 बजकर 30 मिनट तक एकादशी तिथि समाप्त होगी।
15 मार्च को सूर्य का मीन राशि में होने जा रहा गोचर, ज्योतिषाचार्य से जानें आपकी राशि पर क्या पड़ेगा प्रभाव
आमलकी या रंगभरी 2022 व्रत पारण का समय-
15 मार्च 2022 को सुबह 06 बजकर 15 मिनट से सुबह 08 बजकर 50 मिनट तक व्रत का पारण करना चाहिए। इस दिन 11 बजकर 50 मिनट पर द्वादशी तिथि समाप्त हो जाएगी।
आमलकी या रंगभरी एकादशी व्रत पारण के नियम-
एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है।
एकादशी व्रत पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले पहले कर लेना चाहिए।
एकादशी व्रत पारण हरि वासर के वक्त नहीं करना चाहिए हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को कहते हैं।
एकादशी व्रत तोड़ने का सबसे अच्छा समय प्रातः काल का होता है।
23 मार्च से इन 3 राशि वालों का जगेगा सोया भाग्य, देवगुरु बृहस्पति की होगी विशेष कृपा
आमलकी एकादशी के लाभ-
मान्यता है कि इस दिन जो भक्त भगवान श्री हरि विष्णु की पूजा अर्चना करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शत्रुओं के भय से मुक्ति मिलती है धन-संपत्ति पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।
[ad_2]
Source link
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!