[ad_1]
Shree Krishna Janmashtami 2022 : हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव को कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी और रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा- अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत भी रखा जाता है। आइए जानते हैं श्री कृष्ण जन्माष्टमी डेट, पूजा-विधि, महत्व और सामग्री की पूरी लिस्ट….
श्री कृष्ण जन्माष्टमी कब है?
- इस साल 18 अगस्त को श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा।
मुहूर्त-
-
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 18, 2022 को 09:20 पी एम बजे
-
अष्टमी तिथि समाप्त – अगस्त 19, 2022 को 10:59 पी एम बजे
पूजा- विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- घर के मंदिर में साफ- सफाई करें।
- घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
- सभी देवी- देवताओं का जलाभिषेक करें।
- इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है।
- लड्डू गोपाल का जलाभिषेक करें।
- इस दिन लड्डू गोपाल को झूले में बैठाएं।
- लड्डू गोपाल को झूला झूलाएं।
- अपनी इच्छानुसार लड्डू गोपाल को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
- लड्डू गोपाल की सेवा पुत्र की तरह करें।
- इस दिन रात्रि पूजा का महत्व होता है, क्योंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात में हुआ था।
- रात्रि में भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा- अर्चना करें।
- लड्डू गोपाल को मिश्री, मेवा का भोग भी लगाएं।
- लड्डू गोपाल की आरती करें।
- इस दिन अधिक से अधिक लड्डू गोपाल का ध्यान रखें।
- इस दिन लड्डू गोपाल की अधिक से अधिक सेवा करें।
Guru Vakri : 8 दिन बाद वक्री होंगे देवगुरु बृहस्पति, इन राशियों के शुरू होंगे अच्छे दिन, टैप कर देखें किसे होगा महालाभ
महत्व
- श्री कृष्ण जन्माष्टमी का बहुत अधिक महत्व होता है।
- इस दिन विधि- विधान भगवान श्री कृष्ण की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- इस दिन पूजा- अर्चना करने से निसंतान दंपतियों को भी संतान की प्राप्ति हो जाती है।
रात्रि में हुआ था भगवान श्री कृष्ण का जन्म
- भगवान श्री कृष्ण का जन्म रात्रि में हुआ था। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल रूप की पूजा- अर्चना रात्रि में ही की जाती है।
पूजा का शुभ मुहूर्त- 19अगस्त को 12:03 ए एम से 12:47 ए एम,
कुल अवधि-
व्रत पारण
- कई लोग रोहिणी नक्षत्र के समापन के बाद भी व्रत का पारण करते हैं। लेकिन इस साल रोहिणी नक्षत्र 20 अगस्त की रात्रि 1 बजकर 53 मिनट से लग रहा है, जिस वजह से इस साल जन्माष्टमी का पर्व रोहिणी नक्षत्र के बिना ही मनाया जाएगा। इस साल 19 अगस्त को व्रत पारण किया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगले दिन सूर्योदय पर पारण किया जा सकता है।
भोलेनाथ की कृपा से 12 अगस्त तक ये 4 राशि वाले रहेंगे मौज में, सावन रहेगा सुखद
व्रत पारण समय-
- 19 अगस्त को सुबह 5 बजकर 52 मिनट के बाद व्रत का पारण कर सकते हैं।
[ad_2]
Source link
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!