[ad_1]
ऐप पर पढ़ें
हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व होता है। एकादशी व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विजया एकादशी कहा जाता है। इस साल विजया एकादशी 16 और 17 फरवरी दो दिन रहेगी। मान्यता है कि विजया एकादशी का व्रत रखने और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि लंका विजय के लिए भगवान श्रीराम ने भी विजया एकादशी के दिन समुद्र किनारे पूजा-अर्चना की थी।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एकादशी व्रत पर कथा का पाठ करने से पूजा का फल तीन गुना मिलता है। आगे पढ़ें विजया एकादशी व्रत कथा-
Vijaya Ekadashi : विजया एकादशी पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान, जानें क्या करें- क्या नहीं
विजया एकादशी व्रत कथा-
बहुत समय पहले की बात है द्वापर युग में धर्मराज युद्धिष्ठिर को फाल्गुन एकादशी के महत्व के बारे में जानने की जिज्ञासा हुई। उन्होने अपनी शंका भगवान श्री कृष्ण के सामने प्रकट की। भगवान श्री कृष्ण ने फाल्गुन एकादशी के महत्व व कथा के बारे में बताते हुए कहा कि हे कुंते कि सबसे पहले नारद मुनि ने ब्रह्मा जी से फाल्गुन कृष्ण एकादशी व्रत की कथा व महत्व के बारे में जाना था, उनके बाद इसके बारे में जानने वाले तुम्हीं हो, बात त्रेता युग की है जब भगवान श्री राने म माता सीता के हरण के पश्चात रावण से युद्ध करने लिये सुग्रीव की सेना को साथ लेकर लंका की ओर प्रस्थान किया तो लंका से पहले विशाल समुद्र ने रास्ता रोक लिया। समुद्र में बहुत ही खतरनाक समुद्री जीव थे जो वानर सेना को हानि पंहुचा सकते थे। चूंकि श्री राम मानव रूप में थे इसलिये वह इस गुत्थी को उसी रूप में सुलझाना चाहते थे। उन्होंने लक्ष्मण से समुद्र पार करने का उपाय जानना चाहा तो लक्ष्मण ने कहा कि हे प्रभु वैसे तो आप सर्वज्ञ हैं फिर भी यदि आप जानना ही चाहते हैं तो मुझे भी स्वयं इसका कोई उपाय नहीं सुझ रहा लेकिन यहां से आधा योजन की दूरी पर वकदालभ्य मुनिवर निवास करते हैं, उनके पास इसका कुछ न कुछ उपाय हमें अवश्य मिल सकता है। फिर क्या था भगवान श्री राम उनके पास पंहुच गये। उन्हें प्रणाम किया और अपनी समस्या उनके सामने रखी। तब मुनि ने उन्हें बताया कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को यदि आप समस्त सेना सहित उपवास रखें तो आप समुद्र पार करने में तो कामयाब होंगे ही साथ ही इस उपवास के प्रताप से आप लंका पर भी विजय प्राप्त करेंगें। समय आने पर मुनि वकदालभ्य द्वारा बतायी गई विधिनुसार भगवान श्री राम सहित पूरी सेना ने एकादशी का उपवास रखा और रामसेतु बनाकर समुद्र को पार कर रावण को परास्त किया।
[ad_2]
Source link
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!