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महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, वैसे भी भारतीय संस्कृति में महाशिव रात्रि,कालरात्रि, दीपावली की रात अमावस्या की रात्रि और महानिशा। इन महा रात्रियों में जागरण कर पूजन-अर्चन करने का जीवन में परम पुण्यकारी माना गया है।

इस बार फाल्गुन मास महाशिव रात्रि पर प्रदोष एवं चर्तुदशी यानी त्रयोदशी एवं चतुर्दशी की दुर्लभ योग है। शुक्रवार को रात आठ बज कर दो मिनट से त्रयोदशी आरंभ होगा जो शनिवार को शाम चार बज कर 19 मिनट पर समाप्त होगा। महाशिवरात्रि व्रत का पारण रविवार को सुबह 6 बज कर 57 मिनट से दोपहर 3 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। लिहाज महाशिवरात्रि पर सुबह जल्दी उठकर स्नान कर भगवान शिव का व्रत एवं पूजन करने से जीवन के कलुस मिट जाएंगे। पंडित रामलाल त्रिपाठी की माने तो शिवलिंग का पूजन करें और बेल पत्र, धतूरा, पंचामृत, भांग के साथ घर में बने प्रसाद आदि चढ़ाएं। ऊॅ नम: शिवाय का जाप करें और पूजन के अंत में भगवान शिव की आरती उतारें। इससे जीवन के सारे दोष-पाप ही नहीं कालसर्प भी मिट जाएगा।

Mahashivratri : जानें रात में ही क्यों होती है भगवान शिव की पूजा?

इसके अलावा नगर के बरियाघाट स्थित पंचमुखी महादेव, बुढ़ेनाथ महादेव मंदिर पर शिव बारात के साथ ही रात में शिव और माता पार्वती के विवाह तैयारियां जोरों पर की जा रहीं हैं। भांग और ठंडई आज से बनाने की तैयारियों में भगवान भोलेनथ के भक्त लगे रहे। पूरा विंध्य क्षेत्र महाशिवरात्रि पर शिव के रंग में रंगा होगा बम बम बोल रहा है काशी की धूम होगी।

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