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माघ मास का पांचवा प्रमुख स्नान पर्व माघ पूर्णिमा रविवार को है। इसी दिन संगम की रेती पर एक माह से चल रहे कल्पवास का समापन होगा। पूर्णिमा पर संगम व गंगा-यमुना के विभिन्न घाटों पर श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगाएंगे। पूर्णिमा पर स्नान-दान का मान सूर्योदय से सूर्यास्त तक है। रविवार को पूर्वाहन 11:43 बजे तक पुष्य नक्षत्र का योग रहेगा, इससे पर्व का अधिक बढ़ गया है। माघ पूर्णिमा पर कंबल, अन्न, फल, मिष्ठान, भोजन आदि का दान फलदायी रहेगा। संगम की रेती पर एक मास से चल रहा कल्पवास समाप्त हो जाएगा।
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शनिवार को कल्पवासी शिविरों में घर जाने की तैयारी होती रही। कुछ कल्पवासी त्रिजटा स्नान के बाद घर जाएंगे। शनिवार को कल्पवासियों ने एक दूसरे का मोबाइल नंबर और पता भी नोट किया। एक माह तक एक परिवार की तरह रहने से आत्मीय लगाव बढ़ गया। संगम लोवर मार्ग पर कल्पवास कर रहीं प्रमिला ने विदा की बेला में महिलाओं से गले मिलकर रोने लगीं। कौशांबी के राम सुमिरन ने बताया कि कल्पवास के लिए आते समय बेटे ने खांसी, जुकाम और दर्द की दवाएं दी थीं। लेकिन मां गंगा की कृपा से दवाओं की जरूरत ही नहीं पड़ी।
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