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मकर राशि की सूर्य संक्रांति 14 जनवरी शनिवार को रात्रि 02:53 बजे से आएगी,अर्थात् भगवान भास्कर मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। चूंकि रात्रि में संक्रान्ति लग रही है इसलिए शास्त्रीय मान्यता के अनुसार इसका पुण्यकाल अगले दिन अर्थात् 15 जनवरी रविवार को माना जाएगा और खिचड़ी का प्रसिद्ध पर्व एवं मकर संक्रान्ति का पवित्र स्नान-दान मध्याह्न काल तक किया जा सकेगा।

इसके साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाएँगे और खरमास समाप्त हो जाएगा तथा विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएँगे। उक्त जानकारी महर्षिनगर स्थित आर्षविद्या शिक्षण प्रशिक्षण सेवा संस्थान-वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने दी। उन्होंने बताया कि मकर संक्रान्ति प्रधानत: सूर्योपासना का त्योहार है तथा भारतीय आध्यात्मिक-सांस्कृतिक रिवाज में सूर्य को विशेष स्थान प्राप्त है।

धार्मिक महत्ता से इतर सूर्योपासना की पर्यावरणीय और सामाजिक उपयोगिता भी है। सूर्योपासना और पवित्र नदियों में स्नान अन्य प्रकार से मानव की प्रकृति पर निर्भरता को रेखांकित करने के साथ ही प्रकृति के प्रति उसकी कृतज्ञता को भी ज्ञापित करता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा अथवा अन्य नदियों तथा किसी भी पवित्र जलाशयों में स्नान करने की पुण्यफलदायक परंपरा है।

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इस दिन तिल युक्त खिचड़ी तथा तिल के लड्डू दान देने एवं खाने-खिलाने का विधान है। प्राचार्य पाण्डेय ने बताया कि मकर संक्रान्ति के दिन से सूर्य मकर से मिथुन तक की छ: राशियों में रहते हुए उत्तरायण कहलाता है।

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