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पौष कृष्ण एकादशी का सफला एकादशी कहते है। इस एकादशी के देवता श्री नारायण है। विधि पूर्वक इस व्रत को करना चाहिए। जिस प्रकार नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुण, ग्रहों में चंद्रमा, यज्ञों में अश्वमेघ और देवताओं में भगवान विष्णु श्रेष्ठ हैं। उसी तरह सभी व्रतों में एकादशी व्रत श्रेष्ठ है। जो फल पांच हजार वर्ष तक तप करने से मिलता है उससे भी अधिक फल सफला एकादशी व्रत करने से प्राप्त होता है।

इस साल के आखिरी गुरुवार 30 दिसंबर को खास संयोग बन रहा है। दरअसल इस दिन एकादशी व गुरुवार का विशेष संयोग बन रहा है। शास्त्रों की मानें तो एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। पौष कृष्ण एकादशी को सफला एकादशी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से सभी पापों का नाश हो जाता है। सफला एकादशी का व्रत यदि परिवार का एक भी सदस्य इस व्रत को करता है तो इसका कई गुना फल सभी सदस्यों को मिलता है। पद्म पुराण में बताया गया है कि युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा था बड़े-बड़े यज्ञों से मुझे उतना संतोष नहीं होता है जितना एकादशी व्रत के अनुष्ठान से होता है।

सफला एकादशी पर इस विधि से करें श्री हरि की उपासना, नोट कर लें पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट और शुभ मुहूर्त

० गुरुवार को एक बजकर 40 मिनट तक रहेगी एकादशी

० शुक्रवार को सुबह दस बजे करें व्रत का पारण

पूजन विधि

० स्नान करने के बाद भगवान विष्णु, लक्ष्मी की आराधना करें

० घट स्थापित कर देशी घी का दीपक जलाएं

० भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी को दूध से बने मिष्ठान का भोग लगाएं

० भगवान को भोग लगाते समय तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं

एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ है। इस साल सफला एकादशी पर एकादशी व गुरुवार का विशेष संयोग बन रहा है। कई साल बाद ऐसा शुभ संयोग आया है। इस दिन व्रत करने से घर परिवार में सुख समृद्धि आती है।- आचार्य पं. संतोष शुक्ल-ज्योतिषाचार्य

 

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