Hindustan Hindi News

[ad_1]

Basant Panchami :  पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन ही बुद्धि, ज्ञान और विवेक की जननी माता सरस्वती प्रकट हुई थीं। माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। छात्र सरस्वती माता के साथ-साथ पुस्तक, कॉपी एवं कलम की पूजा करते हैं। संगीतकार वाद्ययंत्रों की, चित्रकार अपनी तूलिका का पूजन करते हैं। भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के चैप्टर चेयरमैन आचार्य मनीष स्वामी कहते हैं कि सिद्ध और साध्य योग के साथ ही रवि योग का भी निर्माण होने से तीन युग में बसंतोत्सव मनाया जाएगा। ज्योतिषविद अंकित चौधरी कहते हैं कि मां सरस्वती का बसंत पंचमी पर पूजन शुभता लाता है और दरिद्रता दूर होती है।

मुहूर्त

  • पंचमी तिथि आरंभ – शनिवार, सुबह 6 बजकर 41 मिनट से
  • पंचमी तिथि समाप्त – रविवार, सुबह 6 बजकर 42 मिनट तक
  • सिद्ध योग – शनिवार को सुबह 7 बजकर 11 मिनट से शाम 7 बजकर 41 मिनट तक।
  • साध्य योग – 6 फरवरी, शाम 7 बजकर 33 मिनट तक।

5 फरवरी को सूर्य की तरह चमकेगा इन राशियों का भाग्य, पढ़ें मेष से लेकर मीन राशि तक का हाल

पूजन विधि

  • इस दिन 2 से 10 वर्ष की कन्याओं को पीले-मीठे चावलों का भोजन कराया जाता है तथा उनकी पूजा की जाती है। मां शारदा और कन्याओं का पूजन करने के बाद पीले रंग के वस्त्र और आभूषण कुमारी कन्याओं, निर्धनों व विप्रों को देने से परिवार में ज्ञान, कला व सुख-शान्ति की वृ्द्धि होती है। इस दिन के लिए पीले रंग का विशेष महत्व माना गया है। वसंत पंचमी के दिन पीले फूल, पीले मिष्ठान अर्पित करना शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि देवी सरस्वती को पीला रंग बहुत प्रिय है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने और भेंट शुभ होता है।

[ad_2]

Source link

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *