Hindustan Hindi News

[ad_1]

हिंदू धर्म में दिवाली का बहुत अधिक महत्व होता है। दिवाली के पावन पर्व की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है। दिवाली के महापर्व का हर किसी को इंतजार रहता है। धनतेरस से भैय्या दूज तक दिवाली की धूम रहती है। इस साल दिवाली का महापर्व अक्टूबर माह में पड़ रहा है। दिवाली के पावन दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। 

इस साल अक्टूबर 24, 2022 को कार्तिक अमावस्या तिथि शाम 5:29:35 से शुरू होगी और अगले दिन अक्टूबर 25, 2022 को शाम 4:20:38 तक रहेगी। इसलिए दिवाली का पर्व 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। वहीं सूर्य ग्रहण अगले दिन 25 अक्टूबर को लगेगा। इसलिए दिवाली की पूजा पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। ग्रहण 25 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार 4 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 5 बजकर 24 मिनट तक सूर्य ग्रहण रहेगा। हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। जिसके कारण सूतक काल मान्य नहीं होगा। 

आइए जानते हैं धनतेरस, महालक्ष्मी पूजा, गोवर्धन पूजा और भैय्या दूज की सही डेट

धनतेरस कब है?

  • दिवाली से पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस मनाया जाता है। इस साल धनतेरस 22 अक्टूबर 2022, दिन शनिवार को पड़ रहा है।

महालक्ष्मी पूजा कब है?

  • इस साल महालक्ष्मी पूजा 24 अक्टूबर, सोमवार को है। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजा होती है। इस पावन दिन विधि- विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस दिन विधि- विधान से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना की जाती है।

2 अक्टूबर का दिन ज्योतिष दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण, बुध देव मचाएंगे हलचल, जान लें अपनी राशि का हाल

गोवर्धन पूजा कब है?

  • इस साल 26 अक्टूबर, बुधवार को गोवर्धन पूजा है। इसे देश के कुछ हिस्सों में अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा की जाती है। गोवर्धन पूजा के दिन 56 या 108 तरह के पकवानों का श्रीकृष्ण को भोग लगाना शुभ माना जाता है। 

23 अक्टूबर तक ये राशि वाले रहें सावधान, शनि का रहेगा अशुभ प्रभाव, इन बातों का रखें विशेष ध्यान

भाई दूज कब है?

  • इस साल 26 अक्टूबर, बुधवार को भाई दूज है। दीपावली महापर्व का अंतिम पर्व भाई दूज है। भाई दूज का त्योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इसे यम द्वितीया या भातृ द्वितीया भी कहते हैं।

[ad_2]

Source link

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *