Hindustan Hindi News

[ad_1]

हरेला पर्व के साथ आज से पवित्र सावन (श्रावण) मास की शुरुआत हो रही है। आज उत्तराखंड में आज हरेला पर्व उल्लास के साथ मनाया जाएगा। स्नान के बाद सुबह 6 बजे से घरों में हरेला काटा जाएगा। सबसे पहले ईष्टदेवों को हरेला चढ़ाया जाएगा, उसके बाद परंपरानुसार घर के बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद जी रया, जागि रया, यो दिन य बार भेटैने रया… लिया जाएगा। शनिवार को ही भगवान सूर्य कर्क राशि में प्रवेश करेंगे।

लोकपर्व हरेला को लेकर कुमाऊं के पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों में खासा उत्साह है। शुक्रवार को हल्द्वानी समेत आसपास के क्षेत्रों में मंदिरों में महिलाओं की टोलियों ने दिनभर भजन कीर्तन कर शाम को डिकारे बनाए। हरेला की पूर्व संख्या पर डिकारे को एक टोकरी में रखा गया।

परंपरानुसार 7 बार धागा भी लपेटा गया। महिलाओं ने शिवजी की महिमा का बखान करने वाले कई भजन गाए। देर शाम को पुए आदि पकवान बनाकर भोग लगाया। बरसात के सीजन का पहला त्योहार होने के चलते कुल देवताओं की पूजा कर सुख-समृद्धि और हरियाली का आशीर्वाद मांगा गया। रामपुर रोड स्थित श्री महादेव गिरी संस्कृत महाविद्यालय हल्द्वानी के प्राचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि शनिवार से दक्षिणायन आरंभ होगा।

राशिफल : ग्रहों की स्थिति मेष, वृष, सिंह राशि वालों के लिए वरदान के समान, धन- लाभ के योग

शिव उपासना का महापर्व हरेला पर्व काटने का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से 11.30 बजे तक है। श्रावण मास में शिव पूजा का विशेष महत्व है। इसके अनुसार जो व्यक्ति जीवन में श्रावण मास पर्यन्त शिव आराधना करते हैं या पार्थिव पूजन करते हैं उन्हें भगवान कुबेर से धन वैभव प्राप्त होता है। पूजन करने से समस्त रोग दूर होते हैं। यदि कोई पूरे माह शिव पूजन न कर सके तो वह रोज सुबह- शाम को ‘पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय’ का जाप करें। शिव तांडव स्रोत पाठ कर सकते हैं। शिव पुराण के अनुसार विद्यार्थियों को विद्या प्राप्ति के लिए शिव पूजन करना चाहिए।

शिव परिवार को समर्पित होते हैं डिकारे

  • डिकारे पूजन की परंपरा वर्षों पुरानी है। सावन मास में भगवान शिव की आराधना की जाती है। ऐसे में मिट्टी से शिवजी के परिवार (गणेश, पार्वती, कार्तिकेय) की प्रतिमा बनाई जाती है। जिसे एक टोकरी में हरेला के साथ रखा जाता है। इस टोकरी में पकवान, 5 प्रकार के फल चढ़ाए जाते हैं। अगले दिन हरेला काटकर शिवजी को चढ़ाया जाता है और डिकारे का विसर्जन किया जाता है। हरेला संपन्नता का प्रतीक माना जाता है।

[ad_2]

Source link

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *