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मकर संक्रांति आज यानी रविवार को मनाई जाएगी। संक्रांति पर शहर भर में ढेर सारे आयोजन होंगे। स्नान, दान के साथ ही खिचड़ी भोज होंगे। ज्योतिषाचार्यों की मानें तो आज से मकर राशि से ही सूर्य देव अपनी उत्तरायण की यात्रा आरंभ करते हैं। खरमास खत्म होने और सूर्य उत्तरायण होने से विवाह, मुंडन समेत अन्य मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।

ज्योतिषाचार्य पं. दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि जब शनि देव अपनी राशि में होकर केंद्र में स्थित होते हैं तब शश नामक पंच महापुरुष योग का निर्माण होता है। यही स्थिति इस वर्ष मकर संक्रांति के पावन पर्व पर बन रही है। ग्रहों में राजा सूर्यदेव का गोचरीय परिवर्तन देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु से अपने पुत्र शनि देव की पहली राशि मकर में माघ कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि शनिवार की देर रात 253 बजे पर हो जाएगा। इस वजह से संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी दिन रविवार को माना गया है। अत मकर संक्रांति अर्थात खिचड़ी का पावन पर्व रविवार को धूमधाम से मनेगा। मकर संक्रांति का दिन स्नान दान के लिए विशेष फलदायक है। सर्वत्र गंगा नदी, अन्यत्र नदी, तीर्थ, सरोवर आदि में स्नान करके पुण्य फल को प्राप्त किया जा सकता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी खाना, खिचड़ी खिलाना एवं दान करना शुभ माना गया है। सूर्यदेव अपने स्वाभाविक संचरण के क्रम में लगभग एक माह तक एक राशि में रह कर अपना प्रभाव स्थापित करते हैं।

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वर्तमान में यह देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु में गोचरीय संचरण कर रहे हैं। जब सूर्य देव बृहस्पति की राशि धनु अथवा मीन में गोचर करते हैं तो वह स्थिति खरमास कहलाती है। सूर्य के मकर राशि में गोचर के साथी इनके प्रभाव में भी परिवर्तन होगा। चराचर जगत पर इसका प्रभाव पड़ेगा। अपने पुत्र की पहली राशि में सूर्य देव मेष से लेकर के मीन लग्न अथवा राशि के लोगों पर प्रभाव स्थापित करने के साथ विश्व सहित भारत के भी समस्त व्यवस्थाओं पर प्रभाव स्थापित करेंगे।

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