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मौनी अमावस्या का पर्व शनिवार को मनाया जाएगा। बीस साल बाद शनिवार के दिन मौनी अमावस्या का पड़ना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन शनिदेव की पूजा विशेष महत्व है। इसके साथ ही मौनी अमावस्या के महत्व को देखते हुए श्रद्धालु इस दिन मौन व्रत रख स्नान, दान, दर्शन, परिक्रमा, अभिषेक, भोग आदि कर पुण्य कमाएंगे। यमुना के घाटों, मंदिर-देवालयों में भक्तों का तांता लगेगा।
मौनी अमावस्या शनिवार की सुबह 6.27 बजे प्रवेश करेगी। सूर्य देव भी अमावस्या की तिथि में उदित होंगे। महंत स्वामी विजयानन्द सरस्वती ने बताया कि मौनी अमावस्या के साथ शनिवार का संयोग 20 साल बाद बन रहा है। इस अमावस्या को दान और पूजा का बहुत बड़ा महत्व होता है। जिन पर शनि की महादशा चल रही है, वे इस दिन पूजा करके शनि देव से प्रार्थना कर सकते हैं। इस मौके पर शनिधाम मुड़ेसी में ढाई क्विंटल सरसों के तेल से बाबा का अभिषेक होगा। शाम के समय भगवान देव का श्रृंगार होगा और आरती होगी। इस दिन संत, भक्त निश्चित समय के लिए मौन व्रत का संकल्प लेंगे। उनके मौन को गुरु, पण्डित-पुरोहित आदि खुलवाकर भगवत नाम उच्चारण कराएंगे। मौन रखने वाले मौन खुलवाने वालों दक्षिणा, उपहार, मिष्ठान देकर चरण वंदन कर धर्मलाभ लेंगे।
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मौनी अमावस्या पर मंदिरों में सेवायत आराध्यों का अभिषेक, श्रृंगार, भोग अर्पण, आरती आदि कर झांकियों में ठाकुरजी के दर्शन होंगे। सिद्ध शनि मंदिर सेवा न्यास भरतपुर रोड, मुडेसी के तत्वावधान में धूमधाम से शनि अमावस्या पर्व मनाया जाएगा। प्राचीन केशवदेव मंदिर में चल रही भागवत ज्ञान यज्ञ के व्यवस्थापक सेवायत जगदीश प्रसाद गोस्वामी ने बताया कि 21 जनवरी की शाम कृष्ण जन्म व नन्दोत्सव धूमधाम से मनाया जाएगा। शुक्रवार को व्यास ने नरसिंह अवतार, प्रहलाद की रक्षा, हिरण्यकश्यप का उद्धार आदि की कथा सुनाईं। शहर के शनिदेव मंदिरों में भी सुबह से रात्रि तक भक्तों का तांता लगेगा। शाम को शनि मंदिर प्रज्ज्वलित दीपकों से जगमग होंगे।
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