।। ॐ ।।
काशी की अनसुनी कहानी-3
देवताओ ने कैसे की काशी में मोक्ष रूपी धन की रक्षा?
मरणं मंगल, यत्र, विभूतिश्च विभूषण्।
कौपीनं यत्र कौशेयं, सा काशी किं न सेव्यते।।
प्रणाम मेरे प्रिय पाठक्गण आज कितने हर्ष की बात है कि आपके समक्ष हम काशी की अनसुनी कहानी का तृतीय कड़ी लेकर उपस्थित हुए है इसके माध्यम से हम काशी की महत्वत्ता को जानेंगे ।
जिस प्रकार से हमने पूर्व के दो कड़ियों में हमने अगस्त ऋषि और भगवान कार्तिकेय के अमृत वचनों के द्वारा काशी की महत्व और गंगा सहस्त्रनाम और गंगा स्तोत्र के साथ ही माँ गंगा की महत्वता को जाना है अब यह जानने का प्रयास करेंगे कि इतने महिमा युक्त काशी में निवास कैसे प्राप्त होता है और काशीमे निवास करने के लिए किसप्रकार देवता भी प्रयास करते है ।
स्कंद जी काशी की महिमा बताते हुए कहते है -हे महाभाग्यवान अगस्त जी सुनिए राजा भगीरथ श्री महादेव जी की आराधना करके गंगा जी को बड़ी तपस्या से भूमि पर ले आये । फिर वहाँ से तीनों लोकों के हित के लिए गंगा को उस स्थान पर लाये जंहा मणिकर्णिका तीर्थ , एवं भगवान शिव का आनंदवन है और श्रीहरि का चक्रपुष्कर्णी तीर्थ है । वह परब्रह्म का सर्वोत्तम स्थान है ।जो मोक्ष को प्रकाशित करने से काशीपुरी के नाम से विख्यात है। काशी का महत्व तो पहले से ही अधिक था , फिर गंगा जी के जल के समागम से जो उसकी महिमा बढी , उसके विषय मे कहना ही क्या है । वहाँ का चक्रपुष्कर्णी तीर्थ पहले से ही कल्याण का स्थान था फिर भगवान शंकर का मणिमय कुंडल के गिरने से वह और भी श्रेष्ठ हो गया फिर उस मणिकर्णिका में गंगा जी के मिलने से वह तीर्थ देवताओं के लिए भी दुर्लभ हो गया ।
काशी में कोई भी मृत्यु को प्राप्त हुआ व्यक्ति मुक्त हो जाता है ।
काशी में शरीर का त्याग करना ही सबसे बड़ा दान है वही तपस्या है और वही मोक्ष का सुख देने वाला है ।
देवताओ ने वहां पापियों के खोटी बुद्धि का नाश करने वाली महान असि (खड्ग{तलवार] रूप दुष्टो के प्रवेश का नाश करने वाली धुनि ) नदी तथा विघ्ननिवारण करने वाली वरुणा नदी का निर्माण किया है । काशी के दक्षिण भाग में असि नदी तथा उत्तर भाग में वरुणा नदी को उस क्षेत्र में मोक्ष रूपी धन के रक्षा के लिए देवताओ ने स्थापित किया है। इसके बाद स्वयं भगवान शंकर ने पश्चिम दिशा में उस क्षेत्र की रक्षा के देहली विनायक (गणेश) को नियुक्त किया है ।
इस प्रकार मित्रो मैंने आज आपके समक्ष काशी की महत्वता को समझते हुए असि , वरुणा और देहली विनायक के कार्य को भी समझा कल हम काशी से जुड़ी एक कथा का अध्ययन करेंगे प्रणाम
जय श्री राम
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