तेजोमयं सगुण निर्गुणमद्वितीयं

आनंद कंदमपराजित मप्रमेयं

नागात्मकं सकल निष्कलमात्म रूपं

वाराणसी पुरपतिं भज विश्वनाथं ||


काशी की अनसुनी कहानी के समस्त पाठक गण को सादर प्रणाम हम सभी इस सीरीज के माध्यम से  काशी के रहस्यों का अध्ययन कर रहे है जिसमे हमने पूर्व के भागों में पढ़ा की शिव जी के काशी में प्रवेश के बाद जैगीषव्य ऋषि के आश्रम में जाकर उन्हें आशीर्वाद दिया और उसके बाद उन्होंने ब्राह्मणो को देखा और आशीर्वाद दिया तो आज हम काशी विश्वनाथ के काशी के ब्राह्मणो को दिए वरदान के बारे अध्ययन करेंगे

कार्तिकेय जी कहते है – जब ब्रह्मा जी के वरदान की रक्षा के लिए शिव जी काशी को छोड़ कर चले गए तब काशी के समस्त ब्राह्मण और सन्यासियों ने दान लेना बंद कर दिया था और अपने दंड के अग्रभाग को खोद कर वहाँपर एक सुन्दर पुष्करिणी तैयार कर दीं|उसका नाम दण्डखात तीर्थ हुआ | वहाँ पर उन्होंने अनेक शिवलिंग स्थापित कर के शिव जी की आराधना करने लगे | और जब उन्होंने भगवान के आगमन का समाचार सुना तो भगवान के दर्शन करने के लिए आये और भगवान का स्वागत और स्तुति  किया | तब भगवान शिव ने उनकी ओर देखकर उनका कुशल क्षेम पूछा तब वो ब्राह्मण बोले – आपका दर्शन ही हमारे लिए मंगलकारी है | काशी में रहना हमारे लिए परममंगलकारी है | काशी से अन्यत्र रहकर भी मनुष्य केवल काशीकाशीकाशी कहने मात्रा से काशीवास का फल मिलता है | काशी कल्याणसवरूपा है आप कल्याणसवरूप है और गंगा कल्याणसवरूपा | दूसरा कोई ऐसा क्षेत्र नहीं है , जहाँ तीन तीन कल्याण मूर्तियां है |

काशीक्षेत्र की भक्ति सुनकर शिव जी संतुष्ट हुए और प्रसन्नचित्त  होकर  बोले – तूम सब धन्य हो काशी में रहने के कारण तुम्हे यह सब ज्ञान प्राप्त हुआ है | हे काशीवासी ब्राह्मणो मै सदा सर्वदा से तुम्हारे पास हु तुम कोई वर मांगो

ब्राह्मण बोले – हे उमापते! आप आज के बाद कदापि काशी को मत छोड़े और यहाँ काशी में ब्राह्मणो के वचन से किसी भी  मनुष्यो के ऊपर मोक्ष में विघ्न लगने वाला शाप न लागु हो |काशी के ब्राह्मणो की आपके प्रति सदैव भक्ति बनी रहे | इसके आलावा हमे कोई और वर नहीं चाहिए |

शिव जी ने कहा – तथास्तु ऐसा ही होगा |और काशी के अन्य रहस्यों को भी ब्राह्मणो को बताया और अंतर्धान हो गए | वे ब्राह्मण भी अपने स्थानों पर चल गए |

इस प्रकार हम सबने श्री महादेव जी के काशी में प्रवेश के प्रसंगो को पढ़ा अब आगे काशी में भगवान शिव के काशी में स्थित अन्य सिद्ध लिंगो का अध्ययन करेंगे |

महादेव

 

 

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