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Makar Sankranti 2022 : पिछले साल 2021 में सामान्य रहने के बाद एक बार फिर इस वर्ष मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी के चक्कर में फंसा है। कुछ पंचागों के अनुसार 14 जनवरी तो कुछ के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना शुभ है। इसलिए कुछ लोग शुक्रवार तो कुछ लोग शनिवार को पूजा-पाठ व दान-पुण्य के बाद चूड़ा-दही व गुड़ के साथ तिलुकट आदि का मजा लेंगे। शास्त्र व पंचागों के अनुसार पुण्यकाल में चूड़ा-दही व तिल खाना शुभ होगा। हालांकि वर्षों से चली आ रही 14 जनवरी वाली परंपरा को मानने वाले इस दिन चूड़ा-दही का मजा लेंगे।

मार्तण्ड, शताब्दी पंचाग के अनुसार 14 और हृषिकेश और महावीर के अनुसार 15 को मनाना शुभ

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आचार्य नवीन चंद्र मिश्र ने बताया कि भगवान सूर्य बारह राशियों के भ्रमण के दौरान जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इसे ही सरकात, लोहड़ा, टहरी, पोंगल आदि नामों से जानते हैं। मकर राशि के सूर्य होने पर तिल खाना शुभ होता है। बताया कि कुछ पंचागों के अनुसार 14 जनवरी की दोपहर में सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं तो कुछ में रात में। मार्तण्ड पंचात के अनुसार 14 जनवरी की दोपहर 2.29 बजे मकर राशि में सूर्य प्रवेश कर रहे हैं और पुण्यकाल शनिवार को 6.27 बजे से है। ब्रदीकाशी पंचाग के अनुसार दोपहर में 2.29 व शताब्दी के अनुसार दोपहर 1.21 मकर राशि के सूर्य हो रहे हैं। जबकि अन्नपूर्णा पंचाग के अनुसार 14 जनवरी की रात 8.18 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे और 4.18 बजे से। हनुमान पंचाग के अनुसार रात 10.19, आदित्य के अनुसार रात 8.12, गणेश आपा के अनुसार रात 8.01, हृषिकेश (हरिहर) के अनुसार रात 8.49, हृषिकेश शिवमूर्ति के अनुसार रात 8.49, दैनन्दिनी के अनुसार रात 8.49 और विश्व के पंचांग के अनुसार शाम 7.59 और महावीर पंचाग के अनुसार रात 8.34 बजे मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे। आचार्य ने बताया कि पंचांगकार ग्रंथिय प्रमाण के आधार पर संक्रांति प्रवेश काल से 8 या 16 घंटा पहले या बाद पुण्यकाल होता है। गया में सूर्योदय 6.41 बजे यानी पुण्यकाल सूर्योदय से पहले शुरू होता है।

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पिछले 21 सालों में 12 वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति

  • आचार्य ने बताया कि कई पंचागों के अनुसार पिछले 21 सालों में 11 वर्ष 15 जनवरी को मकर संक्रांति का त्योहार मनाने अच्छा रहा है। 2001, 2002, 2005, 2006, 2009, 2010, 2013 और 2014 में 14 जनवरी को पुण्यकाल होने के कारण चूड़ा-दही व तिल खाना शुभ रहा। जबकि 2003, 2004,2007, 2008, 2011, 2012,2014, 2015, 2018 , 2019 और 2020 में 15 जनवरी को मकर संक्रांति त्योहार रहा। 2021 में 14 जनवरी को मना। इस साल 2022 में 14 और 15 जनवरी दो दिन हो गया। लेकिन, पंचांग नहीं मनाने वालों ने हर साल 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाते हुए चूड़ा-दही व तिलकुट खाते हैं।

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चूड़ा, तिल, मिठाई, खिचड़ी सामग्री व गर्म कपड़े दान करने से सुख-समृद्धि-

  • आचार्य श्री मिश्र ने बताया कि मकर राशि के सूर्य के साथ ही पुण्यकाल में स्नान व दान के बाद चूड़ा-दही व तिल खाना शुभ होगा। पुण्यकाल में स्नान के बाद तिल का होम करने और चूड़ा, तिल, मिठाई, खिचड़ी सामग्री, गर्म कपड़े दान करने व इसे ग्रहण करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। आचार्य ने कहा कि मकर राशि के सूर्य होते ही सूर्यदेव उतरायण हो जाते हैं और देवताओं के दिन और दैत्यों के लिए रात शुरू होती है। खरमास खत्म होने के साथ ही माघ माह शुरू हो जाता है।

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