पंचमं स्कन्दमातेति


सभी पाठकों को सादर प्रणाम हम सभी नवरात्र के पूजा के क्रम में नवरात्र पूजा का विश्लेषण कर रहे है जिसमे आज हम पांचवे दिन की देवी स्कंदमाता देवी के रहस्यों को जानने का प्रयास करेंगे –

सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है कि स्कन्दमाता देवी के नाम का क्या अर्थ है इनकी उत्पत्ति कैसे हुई और इनको कैसे हम प्रसन्न कर सकते है ।
स्कंद कुमार (कार्तिकेय जी) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता नाम दिया गया है, इनके विग्रह में भगवान स्कंद बाल रूप में इनकी गोद में विराजित हैं। यह कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं, इसीलिए इनका एक नाम पद्मासना भी है ।कहते हैं कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी हो जाता है ।

आज नवरात्र के एक और रहस्य आपके सामने रखना चाहता हु अभी तक चार दिनों में हमने माँ को हमने अपने अंदर के समस्त दोष गुण अर्पित करते हुए स्वयं को भी समर्पित किया । आगे पांच दिनों में हम माँ के अलग अलग स्वरूपो से आशीर्वाद प्राप्त करते है -इसका सीधा सा यही अर्थ है जब तक हमारे भाव शुद्ध नही होंगे या जबतक हम पूर्ण रूपेण समर्पित नही होंगे तबतक हमे कुछ नही प्राप्त हो सकता है , और हमने चार दिनों तक माँ के सामने अपने आपको समर्पित किया है। अब आशीर्वाद प्राप्त करने का समय है अर्थात आशीर्वाद प्राप्त तभी होगा जब हम समर्पित हो जाएंगे बिना समर्पित हुए आशीर्वाद नही प्राप्त होगा ।

तो आज हम आशीर्वाद स्वरूप मा स्कंदमाता से नवचेतना का आशीर्वाद प्राप्त करते है जिसका अर्थ है हम हमेशा कुछ नया करते है और संसार से हमेशा कुछ न कुछ सीखते और सिखाते रहे क्योंकि नवीनता ही प्रगति के मार्ग की ओर ले जाती है ।

नोट-onlinekashipandit.com को इस लेख को लिखने का उदेश्य यह है की आप माँ को किसी मूर्ति कलश या फोटो में न देखे अपितु अपने शरीर में अपने आसपास महसूस करे क्योंकि हम माँ कीस्थापना मूर्ति में तो करते ही है और साथ साथ उर्पयुक्त भाव से अपने मन , बुद्धि , वाणी एवं शरीर के अंदर भी स्थापित करे जिससे कभी भी हमें गलत कार्य न हो

कल के लेख में मा कात्यायनी जी की रहस्य को जानने का प्रयास करेंगे

जय माता दी

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