।। नवमं सिद्धिदात्री ।।


सभी पाठकों को सादर प्रणाम हम सभी नवरात्र के पूजा के क्रम में नवरात्र पूजा का विश्लेषण कर रहे है जिसमे आज हम नवें दिन की देवी सिद्धिदात्री देवी के रहस्यों को जानने का प्रयास करेंगे

सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है कि सिद्धिदात्री देवी के नाम का क्या अर्थ है इनकी उत्पत्ति कैसे हुई और इनको कैसे हम प्रसन्न कर सकते है ।
इनकी उपासना करने से मनुष्यों की कोई भी अभिलाषा शेष नही रह जाती इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है ।

आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं। इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की समस्त प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है।सिद्धिदात्री मां के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे और वो पूरी न हो ।

आज आशीर्वाद क्रम में पांचवा और आखिरी दिन है जिसमे हम माता सबसे महत्वपूर्ण आशीर्वाद मांगते है और वह है सफलता का । मा सिद्धिदात्री सफलता की देवी है ये हमेशा मनुष्य को सफल होने का आशीर्वाद देती है । आज मनुष्य 8 दिन के पश्चात इस क्रम में पहुचता है और प्रत्येक मनुष्य को माँ से प्रार्थना करना चाहिए कि माँ हर जगह हमे सफल बनायें ।

इसप्रकार आज हमारी नवरात्र रहस्य की यह सीरीज एक विश्राम लेती है ।इसकी अगली कड़ी वासन्तिक नवरात्र में आएगी उसमे उनके नवगौरी के रहस्यों को बताया जाएगा ।

नोट-onlinekashipandit.com को इस लेख को लिखने का उदेश्य यह है की आप माँ को किसी मूर्ति कलश या फोटो में न देखे अपितु अपने शरीर में अपने आसपास महसूस करे क्योंकि हम माँ की स्थापना मूर्ति में तो करते ही है और साथ साथ उर्पयुक्त भाव से अपने मन , बुद्धि , वाणी एवं शरीर के अंदर भी स्थापित करे जिससे कभी भी हमसे गलत कार्य न हो।

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