काश्यां हि काशते काशी. काशी सर्वप्रकाशिका

काशी विदिता येन. तेन  प्राप्ता हि काशिका  


काशी की अनसुनी कहानी के समस्त पाठक गण को सादरप्रणाम श्री काशी विश्वनाथ की महती अनुकम्पा से  हम सभी काशी के विभिन्न तीर्थ स्थानों के माहात्म्य को जानने का प्रयास कर रहे है |

जैसा की हम सभी ने पूर्व में पढ़ चुके है की काशी में विश्वनथ जी के आने के बाद वो सर्वप्रथम ज्येष्ठेश्वर लिंग में विराजित रहे इसलिए उस लिंग का ज्येष्ठेश्वर लिंग नाम पढ़ा   | तदनन्तर गजासुर की प्रार्थना पर भगवान कृत्तिवासेश्वर लिंग में सदा रहने का वरदान दिया और वही आकर विराजित हुए एवं विश्वकर्मा जी उनके लिए एक सुन्दर भवन का निर्माण कार्य में लग गए |आज उसके आगे की कथा का अध्ययन करेंगे |

जब भगवान श्री महादेव जी कृत्तिवासेश्वर लिंग में निवास कर रहे थे तभी उनके समक्ष नंदी जी अपने गणो के साथ उपस्थित हुए और भगवान शिव से बोले – हे देवदेवेश ! यहाँ काशी में सुमनोहर 68 देवमंदिर बनकर तैयार हो  चुके है एवं भूमि से लेकर स्वर्ग तक जो शुभ स्थान है वो सभी स्थान (तीर्थ ) यहाँ आकर पंद्रह कला से  विराजित हो रहे है और एक कला से ही अपने स्थान पर रहेंगे क्योंकि यहाँ का फल सभी तीर्थस्थानों के फल से करोड़गुना अधिक है इसे आप एकबार सुने | ऐसा कहकर नंदी जी उन सिद्ध तीर्थ स्थानों का वर्णन करने लगे |

www.onlinekashipandit.com ने उन सभी तीर्थो के वर्तमान स्थानों का भी नाम दिया है जिनमे से सबका दर्शन करने मात्र काशी यात्रा का फल मिलता है |

यथा-

क्रम तीर्थ के नाम वर्तमान स्थान
स्थाणुलिंग अस्सी, कुरुक्षेत्र तालाब के ऊपर
कुरुक्षेत्र अस्सी, कुरुक्षेत्र तालाब
देवदेवेश्वर लिंग विश्वनाथ गली , अपारनाथ मठ
महाबल लिंग आदिकेशव मंदिर के पास
शशिभुषण लिंग पापमोचन के ऊपर , नौआपोखर
महाकाल लिंग महामृत्युंजय मंदिर
प्रणवेश्वर लिंग ॐकारेश्वर महादेव स्वयं , पठानीटोला
अयोगंधेश्वर  लिंग ॐकारेश्वर महादेव स्वयं , अस्सी
महानादेश्वर लिंग आदि महादेव के पीछे , त्रिलोचन घाट
१० महोत्कट लिंग मनकामेश्वर महादेव के घेरे मे
११ विमलेश्वर लिंग प्रह्लादघाट, नीलकंठ महादेव नाम से प्रसिद्ध
१२ महावृद्धेश्वर लिंग महामृत्युंजय मंदिर
१३ आदि महादेव लिंग त्रिलोचन घाट
१४ पितामहेश्वर लिंग सी के ७/९२
१५ शुलटंकेश्वर लिंग दशाश्वमेध घाट
१६ निधिलिंग
१७ महायोगीश्वर लिंग आदिमहादेव के पिछे
१८ क्रुत्तिवासेश्वर लिंग महामृत्युंजय मंदिर के पास
१९ चंडीश्वर लिंग सदरबाजार
२० नीलकंथेश्वर लिंग सी.के. ३३/२३
२१ विजय लिंग ककरमत्ता सालकंट विनायक
२२ ऊर्ध्वरेतस लिंग फुलवरिया गांव , कुष्मांड विनायक के पास
२३ श्रीकंठ  लिंग ज्येष्ठेश्वर महादेव , काशीपुरा
२४ कपर्दीश्वर लिंग पिशाचमोचन
२५ सूक्ष्मेश्वर लिंग धूपचंडी , १२/१३४
२६ जयंतेश्वर लिंग महामृत्युंजय , भुतभैरव
२७ त्रिपुरान्तकेश्वर लिंग सिगरा
२८ कुक्कुटेश्वर लिंग दुर्गामंदिर , दुर्गाकुंड
२९ त्रिशूलीश्वर लिंग कीनाराम स्थल के अंदर
३० जटीश्वर लिंग बंगाली टोला पातालेश्वर नाम से प्रसिद्ध
३१ त्रयंबकेश्वर लिंग होजकटोरा डी ३८/११
३२ हरेश्वर लिंग आदिकेशव मंदिर
३३ सर्वलिंग त्रिलोचन मंदिर के पास
३४ महालिंग त्रिलोचन मंदिर के पास
३५ सस्राक्षेश्वर लिंग शैलपुत्री
३६ हर्षित लिंग अन्नपूर्णा मंदिर में विश्वनाथ गली
३७ रुद्रेश्वर  लिंग त्रिपुरा भैरवी
३८ वृषेश्वर लिंग मैदागिन गोरखनाथ मंदिर
३९ ईशानेश्वर लिंग बांसफाटक ३७/४३
४० संहार भैरव बद्री नारायण घाट , पाटन दरवाजा
४१ उग्र लिंग लोलार्क कुंड के पास’
४२ भवेश्वर लिंग भीमचण्डी के पास’
४३ दंडी विनायक देहली विनायक के पीछे
४४ भद्रकर्णेश्वर लिंग भुइली गांव रामेश्वर के पास
४५ शंकर सिंधिया घाट सी के ७/१६५
४६ काल लिंग सिद्धेश्वरी , कुमार स्वामी मठ
४७ पशुपतीश्वर लिंग सी के १३/६६
४८ कपालीश्वर लिंग  
४९ उमापतीश्वर लिंग  
५० दिप्तेश्वर लिंग D51/55
५१ नकुलीश्वर लिंग अक्षयवट विश्वनाथ गली
५२ अमरेश्वर लिंग भदैनी
५३ भीमेश्वर लिंग सदर बाजार
५४ भस्मगात्र लिंग कालिका गली ५/७
५५ स्वयम्भूलिंग लक्सा , रामकुंड के पास
५६ धरणी वराह दशाश्वमेध डी १७/१११
५७ गणाध्यक्ष लाहौरी टोला
५८ विरुपाक्ष विश्वनाथ  जी में
५९ हीमस्थेश मणिकर्णिका घाट
६० भुर्भुव:स्व: लिंग भुतभैरव पर
६१ हाटकेश्वर लिंग हडहासराय
६२ तारकेश्वर लिंग ज्ञानवापी
६३ किरातेश्वर लिंग लाली घाट , जयंतेश्वर के पास
६४ कोटिलिंग साक्षी विनयक के पास
६५ त्रिलोचन लिंग त्रिलोचन घाट
६६ ॐकार लिंग ॐकारेश्वर महादेव
६७ जलप्रियलिंग मणिकर्णिका जल के अंदर

 

नंदी ने जिस क्रम में महादेव जी को बताया है उसी क्रम में  यह सूचि बनाई गयी है |

नंदी जी ने इन तीर्थो के मंदिर के बारे बताया तब शंकर जी ने कहा तुमने सभी को तो बुला लिया अब चंडिका को भी किसी कार्य में नियुक्त करो और उनके साथ देवता  ,भुत, और भैरव है   उनको काशीपुरी की रक्षा के कार्य में लगाओ और प्रत्येक दुर्ग में उन्हें बैठाओ | इस प्रकार आज्ञा देकर महादेव जी पार्वती जी के साथ त्रिविष्टप क्षेत्र चले गए । नंदी ने भगवान के  आज्ञानुसार सभी दुर्गाओं को बुलाया और समस्त दुर्ग में यथास्थान बैठाया |

इसप्रकार आज हमने काशी के महत्वपूर्ण तीर्थो को जाना जो स्वयं में सिद्ध है आगे के क्रम में हम दुर्गा जी के माहात्म्य को जानेंगे

हर हर महादेव

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