माणिक्य (Ruby)

 

रूबी यानि माणिक्य को पहनने के कई फायदे हैं। माणिक सूर्य का रत्न है, ऐसे में इसे धारण करने से जातक के भीतर ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा माणिक्य के अंदर वो सभी खूबियां हैं जिनका प्रतिनिधित्व सूर्य करते हैं। इसे पहनने से व्यक्ति को सफलता मिलती है। कुछ लोग इस रत्न को केवल शान-शौकत के लिए पहनते हैं जबकि कुछ इसे ज्योतिषीय कारण से भी धारण करते हैं।

माणिक क्यों पहनना चाहिए?:

  1. सूर्य को सभी ग्रहों का राजा व नेतृत्व शक्ति के लिए जाना जाता है। सूर्य को समर्पित रत्न यानि माणिक्य को पहनने से व्यक्ति के अंदर भी नेतृत्व के गुण आ जाते हैं जिसके चलते उस व्यक्ति को अधिकारिक और प्रशासनिक सेवाओं के पदों से प्रशंसा प्राप्त होती है।
  2. रूबी रत्न आपके भीतर छिपी संकोच की प्रवृत्ति को खत्म करता है व आत्म-विश्वास को बढ़ाता है।
  3. गहरे लाल रूबी रत्न को धारण करने से दिल में प्रेम, करुणा, उत्साह व जोश का संचार होता है।
  4. इस रत्न के तेज के प्रभाव से व्यक्तित्व में एक अलग सा आकर्षण आता है।
  5. रेड रूबी स्टोन यानि माणिक्य रत्न धारण करने से जातक को अवसाद से लड़ने में मदद प्राप्त होती है और नेत्र व रक्त संचार से संबंधित समस्याओं से भी मुक्ति मिलती है।
  6. यदि आपकी जन्म कुंडली में सूर्य द्वितीय या चतुर्थ भाव में स्थित है तो आपको अपने पारिवारिक संबंधों में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे जातकों को अपने संबंधों को मज़बूत बनाने के लिए माणिक्य रत्न धारण करना चाहिए।

माणिक्य केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ रूप हो:

माणिक्य रत्न सूर्य की उर्जा तरंगों को अपनी उपरी सतह से आकर्षित करके अपनी निचली सतह से धारक के शरीर में स्थानांतरित कर देता है जिसके चलते जातक के आभामंडल में सूर्य का प्रभाव पहले की तुलना में बलवान हो जाता है तथा इस प्रकार सूर्य अपना कार्य अधिक बलवान रूप से करना आरंभ कर देते हैं। यहां पर यह बात ध्यान देने योग्य है कि सूर्य का रत्न माणिक्य किसी कुंडली में सूर्य को केवल अतिरिक्त बल प्रदान कर सकता है तथा माणिक्य किसी कुंडली में सूर्य के शुभ या अशुभ स्वभाव पर कोई प्रभाव नहीं डालता। इस प्रकार यदि किसी कुंडली में सूर्य शुभ हैं तो माणिक्य धारण करने से ऐसे शुभ सूर्य को अतिरिक्त बल प्राप्त हो जायेगा जिसके कारण जातक को सूर्य से प्राप्त होने वाले लाभ अधिक हो जायेंगें जबकि यही सूर्य यदि किसी जातक की कुंडली में अशुभ है तो सूर्य का रत्न धारण करने से ऐसे अशुभ सूर्य को और अधिक बल प्राप्त हो जायेगा जिसके चलते ऐसा अशुभ सूर्य जातक को और भी अधिक हानि पहुंचा सकता है। इस लिए सूर्य का रत्न माणिक्य केवल उन जातकों को पहनना चाहिये जिनकी कुंडली में सूर्य शुभ रूप से कार्य कर रहे हैं तथा ऐसे जातकों को सूर्य का रत्न कदापि नहीं धारण करना चाहिये जिनकी कुंडली में सूर्य अशुभ रूप से कार्य कर रहें हैं।

माणिक्य के कुछ गुणों के बारे में चर्चा:

Ruby Manik Gemstone

माणिक्य के कुछ गुणों के बारे में चर्चा करें तो माणिक्य का रंग हल्के गुलाबी लाल से लेकर, गहरे लाल रंग तक हो सकता है तथा संसार के विभिन्न भागों से आने वाले माणिक्य विभिन्न रंगों के हो सकते हैं। यहां पर इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि विभिन्न जातकों के लिए माणिक्य के भिन्न भिन्न रंग उपयुक्त हो सकते हैं जैसे किसी को हल्के गुलाबी रंग का माणिक्य अच्छे फल देता है जबकि किसी अन्य को गहरे लाल रंग का माणिक्य अच्छे फल देता है। इसलिए माणिक्य के रंग का चुनाव केवल अपने ज्योतिषी के परामर्श अनुसार ही करना चाहिए तथा अपनी इच्छा से ही किसी भी रंग का माणिक्य धारण नहीं कर लेना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से ऐसा माणिक्य लाभ की अपेक्षा हानि भी दे सकता है। रंग के साथ साथ अपने ज्योतिषी द्वारा सुझाये गये माणिक्य के भार पर भी विशेष ध्यान दें तथा इस रत्न का उतना ही भार धारण करें जितना आपके ज्योतिषी के द्वारा बताया गया हो क्योंकि अपनी इच्छा से माणिक्य का भार बदलने से कई बार यह रत्न आपको उचित लाभ नहीं दे पाता जबकि कई बार ऐसी स्थिति में आपका माणिक्य आपको हानि भी पहुंचा सकता है।

उदाहरण के लिए अपने ज्योतिषी द्वारा बताये गये माणिक्य के भार से बहुत कम भार का माणिक्य धारण करने से ऐसा माणिक्य आपको बहुत कम लाभ दे सकता है अथवा किसी भी प्रकार का लाभ देने में अक्षम हो सकता है जबकि अपने ज्योतिषी द्वारा बताये गये माणिक्य के धारण करने योग्य भार से बहुत अधिक भार का माणिक्य धारण करने से यह रत्न आपको हानि भी पहुंचा सकता है जिसका कारण यह है कि बहुत अधिक भार का माणिक्य आपके शरीर तथा आभामंडल में सूर्य की इतनी उर्जा स्थानांतरित कर देता है जिसे झेलने तथा उपयोग करने में आपका शरीर और आभामंडल दोनों ही सक्षम नहीं होते जिसके कारण ऐसी अतिरिक्त उर्जा अनियंत्रित होकर आपको हानि पहुंचा सकती है। इसलिए सदा अपने ज्योतिषी के द्वारा बताये गये भार के बराबर भार का माणिक्य ही धारण करें क्योंकि एक अनुभवी वैदिक ज्योतिषी तथा रत्न विशेषज्ञ को यह पता होता है कि आपकी कुंडली के अनुसार आपको माणिक्य रत्न का कितना भार धारण करना चाहिये। अपने माणिक्य के माध्यम से उत्तम फलों की प्राप्ति के लिए धारण करने से पूर्व अपने माणिक्य रत्न का शुद्धिकरण तथा प्राण प्रतिष्ठा करवा लें। शुद्धिकरण की प्रक्रिया के माध्यम से आपके रत्न के उपर संग्रहित किसी भी प्रकार की संभावित नकारात्मक उर्जा को दूर किया जाता है जबकि प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया के माध्यम से आपके माणिक्य को सूर्य के मंत्रों के माध्यम से तथा विशेष वैदिक विधियों के माध्यम से आपके लिए उत्त्म फल देने के लिए अभिंमत्रित तथा प्रेरित किया जाता है। शुद्धिकरण तथा प्राण प्रतिष्ठा की विधियां तकनीकी हैं तथा अपने रत्न का शुद्धिकरण और प्राण प्रतिष्ठा केवल इन क्रियाओं के जानकार वैदिक पंडितों से ही करवायें।

ऐसे पहने माणिक:

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार बिना अभिमंत्रित किये माणिक्य धारण करने से इसका पूरा लाभ नहीं मिलता है। इसलिए इसे धारण करने से पहले सूर्य देव की पूजा करें

Ruby

साथ ही “ओम् ह्रां ह्रीं, ह्रौं सः सूर्याय नमः” मंत्र का जप करें। इसके बाद रत्न धारण करें। कृतिका, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा अथवा रविपुष्य नक्षत्र में रविवार का दिन इस रत्न को धारण करना उत्तम होता है।

माणिक्य रत्न का शुद्धिकरण तथा प्राण प्रतिष्ठा करवाने के पश्चात आपको अगले चरण में अपने रत्न को धारण करना होता है। वैदिक ज्योतिष माणिक्य रत्न को रविवार सुबह धारण करने का परामर्श देता है। शनिवार की रात को अपने माणिक्य को गंगाजल अथवा कच्चे दूध से भरी कटोरी में रख दें तथा रविवार की प्रात: स्नान करने के पश्चात अपनी दैनिक प्रार्थना करें और उसके पश्चात अपने माणिक्य की अंगूठी को सामने रखकर सूर्य देव का ध्यान करें और सूर्य के मूल मंत्र या बीज मंत्र का 108 बार या 27 बार जाप करें, सूर्य देव से।

माणिक के रहस्य:

  1. माणिक्य के विषय में मान्यता है कि जो व्यक्ति इसे धारण करता है वह अगर गंभीर रूप बीमार होने वाला होता है तो इसका रंग फीका हो जाता है।
  2. अगर व्यक्ति की मृत्यु हो ने वाली होती है तो करीब तीन महीने पहले से माणिक्य का रंग सफेद होने लग जाता है।
  3. माणिक्य के विषय में यह भी मान्यता है कि पति-पत्नी दोनों अगर इसे धारण करते हैं तो पत्नी के बेवफाई करने पर पति द्वारा धारण किये गये माणिक्य का रंग फीका पड़ जाता है।
  4. ठीक इसी तरह पति बेवफाई करे तो पत्नी द्वारा धारण किये गये माणिक्य का रंग फीका पड़ जाता है। माणिक्य में रक्त संबंधी रोगों को दूर करने की क्षमता है। तपेदिक से पीड़ित व्यक्ति अगर इसे धारण करे तो चिकित्सा का लाभ तेजी से प्राप्त होता है।
  5. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार जिनकी राशि अथवा लग्न सिंह, मेष, वृश्चिक, कर्क एवं धनु है उनके माणिक्य रत्न धारण करना बहुत ही शुभ होता है।
  6. इसे धारण करने से दूषित विचारों को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है। धार्मिक आस्था एवं पद-प्रतिष्ठा का लाभ मिलता है।

असली माणिक्य की पहचान :

प्राप्ति स्थान के अनुसार माणिक्य लाल, गुलाबी, रक्तवर्णी, फिका गुलाबी इत्यादि रंगों में पाया जाता है।

दूध में असली माणिक्य रखने पर दूध का रंग गुलाबी दिखाई देता है। कांच के बरतन में इसे रखने से बरतन के चारों ओर हल्की किरण निकलती दिखाई देती है।

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