Margashirsha Purnima 2021: आज सुबह 7:24 मिनट से मार्गशीर्ष पूर्णिमा शुरू, जानिए कब दिखेगा पूर्णिमा का चांद

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा को लेकर लोगों में असमजंस है। इस साल पूर्णिमा तिथि 18 दिसंबर से प्रारंभ होकर 19 दिसंबर तक रहेगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 18 दिसंबर को उदयातिथि में पूर्णिमा व्रत रखना शुभ होगा। 19 दिसंबर यानी रविवार के दिन स्नान और दान फलदायी माना जा रहा है। हालांकि पूर्णिमा का चांद 18 दिसंबर, शनिवार की शाम को ही दिखाई देगा।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि शुभ मुहूर्त-

मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि 18 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 24 मिनट से आरंभ हो चुकी है, जो कि 19 दिसंबर (रविवार) की सुबह 10 बजकर 5 मिनट पर समाप्त होगी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, चंद्रोदय 18 दिसंबर की शाम को होगा। जिसके पूर्णिमा का व्रत आज रखा जाएगा। कल यानी 19 दिसंबर को स्नान-दान करना शुभ रहेगा।  

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मार्गशीर्ष पूर्णिमा महत्व-

पौराणिक कथाओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। मान्यता है कि इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से किसी नदी, तालाब या पवित्र कुंड में स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि इस पूर्णिमा में दान का फल अन्य पूर्णिमा की तुलना में 32 गुना ज्यादा मिलता है। इसलिए इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा कहा जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा व पूजन भी किया जाता है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजन विधि-

पूर्णिमा के पावन दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना का विशेष महत्व होता है। 
इस दिन विष्णु भगवान के साथ माता लक्ष्मी की पूजा- अर्चना भी करें। 
भगवान विष्णु को भोग लगाएं। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को भी शामिल करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी के बिना भगवान विष्णु भोग स्वीकार नहीं करते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। 
भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करें।
इस पावन दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का अधिक से अधिक ध्यान करें। 
पूर्णिमा पर चंद्रमा की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। 
चंद्रोदय होने के बाद चंद्रमा की पूजा अवश्य करें। 
चंद्रमा को अर्घ्य देने से दोषों से मुक्ति मिलती है। 
इस दिन जरूरतमंद लोगों की मदद करें। 
अगर आपके घर के आसपास गाय है तो गाय को भोजन जरूर कराएं। गाय को भोजन कराने से कई तरह के दोषों से मुक्ति मिल जाती है।

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