।। महागौरीति च अष्टमं ।।


सभी पाठकों को सादर प्रणाम हम सभी नवरात्र के पूजा के क्रम में नवरात्र पूजा का विश्लेषण कर रहे है जिसमे आज हम आठवे दिन की देवी महागौरी देवी के रहस्यों को जानने का प्रयास करेंगे

सर्वप्रथम यह जानना आवश्यक है कि महागौरी देवी के नाम का क्या अर्थ है इनकी उत्पत्ति कैसे हुई और इनको कैसे हम प्रसन्न कर सकते है ।

भगवान भोलेनाथ को पति रूप में पाने के लिए उन्होंने कठोर तपस्या की जिससे इनका शरीर काला पड़ गया। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भोलेनाथ ने इन्हें स्वीकार किया और गंगा जल की धार जैसी ही देवी पर पड़ी देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो गईं और उन्हें मां महागौरी का नाम मिला। देवी के इस रूप की प्रार्थना किया देव और ऋषिगण ने

“सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते”।


इस दिन को महाअष्टमी भी कहा जाता है। आज के दिन कही कही हवन का भी विधान है । इनकी पूजा करने से मनुष्य के पूर्व जन्म के पापो का नाश हो जाता है ।

आज आशीर्वाद प्राप्ति क्रम में चौथा दिन है आज हमें माता से पूर्व जन्म के किये हुए पापो समाप्ति का वरदान मांगना चाहिए , क्योंकि मनुष्य के पूर्वंजन्म के पाप के कारण इस जन्म में चाहे जन्म में चाहे मेहनत कर ले सफल नही हो पाता इसलिए पूर्व जन्म में किये हुए पाप को काटना अति आवश्यक होता है । अतः हमें माता से उन पापो के लिए प्रायश्चित्त करते हुए उनको दूर करने का वरदान मांगना चाहिए ताकि हम अपने जीवन मे उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त हो ।

नोट-onlinekashipandit.com को इस लेख को लिखने का उदेश्य यह है की आप माँ को किसी मूर्ति कलश या फोटो में न देखे अपितु अपने शरीर में अपने आसपास महसूस करे क्योंकि हम माँ कीस्थापना मूर्ति में तो करते ही है और साथ साथ उर्पयुक्त भाव से अपने मन , बुद्धि , वाणी एवं शरीर के अंदर भी स्थापित करे जिससे कभी भी हमें गलत कार्य न हो

कल के लेख में मा सिद्धिदात्री जी की रहस्य को जानने का प्रयास करेंगे

जय माता दी

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