कोशेषु पञ्चस्वधिराजमाना
बुद्धिर्भवानी प्रतिदेहगेहे ।
साक्षी शिवस्सर्वगणोऽन्तरात्मा
सा काशिकाऽहं निजबोधरूपा
काशी की अनसुनी कहानी के समस्त पाठक गण को सादर प्रणाम श्री महादेव की विशेष अनुकम्पा से हम सभी काशी के रहस्यों को जानने का प्रयास कर रहे है उसी क्रम में पूर्व में हमने काशी के ६७ सिद्ध तीर्थो की चर्चा की थी | आज हम दुर्गा जी के विभिन्न स्वरूपों को जानने का प्रयास करेंगे
स्कन्द जी कहते है – जब शिव जी ने काशी के रक्षा के लिए दुर्गाओं की स्थापना के लिए नंदी को बोले तब नंदी ने निम्न प्रकार से देवियो की स्थापना काशी में की |
onlinekashipandit.com ने उन सभी स्थलों के वर्त्तमान स्थान भी देने का प्रयास किया है –
क्रम | देवियों के नाम | वर्तमान स्थान |
1 | विशालाक्षी गौरी | मीरघाट , प्रसिद्ध |
2 | ललिता गौरी | विशालाक्षी मंदिर के सामने |
3 | विश्वभुजा गौरी | ललितघाट |
4 | वाराही देवी | मानमंदिर घाट |
5 | शिवदूती | प्रह्लाद घाट ए११/३० |
6 | वज्रहस्ता | |
7 | रौद्रा देवी | |
8 | सम्पत्करी देवी | |
9 | कौमार्यै देवी | सी के ७/१०२ |
10 | माहेश्वर्यै | रामघाट आनंदभैरव |
11 | वृष्यावती | |
12 | नारसिंही | जौविनायक |
13 | ब्राह्मी देवी | डी ३३/६६ |
14 | नारायणी देवी | गौरीशंकर महादेव लालघाट |
15 | विरुपाक्ष गौरी | विश्वनाथ मंदिर के सामने |
16 | शैलेश्वरी देवी | शैलपुत्री देवी |
17 | चित्रघंटा देवी | चौक |
18 | चित्रग्रीवा देवी | क्षेमेश्वर घाट बी १४/११८ |
19 | भद्रकाली देवी | मध्यमेश्वर ५३/१०७ |
20 | हरसिद्धि देवी | मणिकर्णिका सिद्धिविनायक के पीछे |
21 | विंध्य देवी | संकठा मंदिर के बहार विंध्याचल |
22 | निगडभञ्जिनि देवी | दशास्वमेध घाट बंदी देवी स्वयं |
23 | घन टंकार देवी | |
24 | अमृतश्वरी देवी | नीलकंठ अमृतेश्वर के निचे सी के ३३/२८ |
25 | सिद्धलक्ष्मी | सिद्धिविनायक के पास |
26 | कुब्जा देवी | सी के ७/९२ |
27 | त्रिलोक सुंदरी | सी के ७/९२ |
28 | दीप्ताशक्ये देवी | सूर्यकुंड सम्बदित्य के पूर्व |
29 | जगदम्बिका | लक्ष्मीकुंड स्वयं लक्ष्मी जी |
30 | हयकंठीदेवी | लक्ष्मीकुंड कालीमठ में |
31 | कॉर्मिशक्ति | |
32 | वायवी देवी | |
33 | शिखा देवी | लक्ष्मीदेवी के दरवाजे पर लक्ष्मी कुंड |
34 | भीमचण्डी | भीमचण्डी भीमचण्डी स्वयं |
35 | क्षवकेशवि देवी | कपिलधारा मंदिर के दीवार में |
36 | घि देतालजवी | |
37 | विकटानना देवी | कात्यायनी जी का दूसरा नाम विकटा है |
38 | यमदंष्ट्रा देवी | |
39 | शुष्को दरी देवी | कृतिवासेश्वर मंदिर के पास |
40 | चर्ममुंडा देवी | बी २/६२ लोलार्क कुंड के पास |
41 | महारूंडा | बी २/६२ लोलार्क कुंड के पास |
42 | चामुंडा | बी २/६२ लोलार्क कुंड के पास |
43 | स्वपनेश्वरी देवी | शिवाला बी ३/१५० |
44 | दुर्गा देवी | दुर्गाकुंड में प्रसिद्ध |
इसप्रकार नंदी ने काशी के रक्षार्थ इन देवियो की स्थापना की इनमे से किसी का भी दर्शन करने से मनुष्यो के समस्त विघ्न क्षण भर में दूर हो जाते है |
हमलोग ने आज महादेवियो के काशी में स्थापना की महिमा को जाना आगे उनका नाम दुर्गा क्यों पड़ा जानेंगे |
जय माता दी
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